बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान
अध्याय - 4
बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था में पोषण
(Nutrition During Chilhdood and Adolescence)
प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
अथवा
पूर्वशालेय अवस्था के बालकों की शारीरिक रचना के आधार पर उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की तालिका बनाइए।
अथवा
पूर्व-शालेय बालक के लिए संतुलित आहार की योजना बनाइए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. 1-5 वर्ष के बालक के पोषण की आवश्यकताएँ बताइए।
2. चार-पाँच वर्ष के बालकों का आहार कैसा होना चाहिए? समझाइए।
उत्तर -
जन्म लेने के एक वर्ष के पश्चात् बाल्यावस्था का प्रारम्भ होता है। पोषण विज्ञान के अनुसार बाल्यावस्था को पुनः दो भागों में बाँटा गया है -
(i) पूर्व शालेय अवस्था ( 1-5 वर्ष की अवस्था ),
(ii) शालेय अवस्था (6-12 वर्ष की अवस्था)।
1-5 वर्ष के बालकों की शारीरिक वृद्धि
इस आयु के दूसरे एवं तीसरे वर्ष में बच्चे का शरीर 6-9 पौण्ड बढ़ता है जो जन्म के भार से चार गुना होता है। बाद में 4-7 पौण्ड भार में वृद्धि होती है और उसकी गोलाकार बनावट समाप्त हो जाती है, हाथ व पैरों का अनुपात लम्बा होने लगता है और सिर की गोलाई भी कम होने लगती है। अस्थियों में पानी की मात्रा कम होती जाती है तथा खनिज लवणों की मात्रा बढने लगती हैं।
इस आयु के बालकों के शारीरिक भार तथा लम्बाई में वृद्धि को निम्न तालिका द्वारा दिखाया गया है -
आयु | भार (किग्रा. में) | लम्बाई (सेमी. में) | ||
लड़का | लड़की | लड़का | लड़की | |
जन्म के समय | 3.40 | 3.36 | 50.6 | 50.2 |
एक वर्ष | 10.07 | 9.75 | 75.2 | 74.2 |
दो वर्ष | 12.56 | 12.29 | 87.5 | 86.6 |
तीन वर्ष | 14.61 | 14.42 | 96.2 | 95.7 |
चार वर्ष | 16.51 | 16.42 | 103.4 | 103.2 |
पाँच वर्ष | 18.37 | 18.37 | 108.7 | 109.1 |
यदि उपरोक्त तालिका के अनुसार बच्चे के शारीरिक भार व लम्बाई में वृद्धि होती है तोइसका अर्थ है कि बच्चे को उत्तम पोषण प्राप्त हो रहा है।
1-5 वर्ष के बालकों की पोषण की आवश्यकताएँ
इस आयु में हड्डियों के ढाँचे की वृद्धि की गति बहुत धीमी हो जाती है, फिर भी सतत्, क्रियाशीलता, मांसपेशियों की वृद्धि, हड्डियों की सुदृढ़ता एवं उत्तम स्वास्थ्य की दृष्टि से माता-पिता को, बालक की पोषण आवश्यकताओं का, निम्नलिखित ज्ञान होना चाहिए -
1. इस आयु के बालक को अपेक्षाकृत उतनी कैलोरी की आवश्यकता नहीं होती जितनी कि प्रथम वर्ष में, इस आयु में शारीरिक वृद्धि का कार्य बहुत कम हो जाता है, इसलिए आयु के अनुपात से कैलोरी की मात्रा कम लगती है। सामान्यतः प्रथम वर्ष के अन्त में शिशु को 1080 कैलोरी, तीन वर्ष के अन्त 1300 कैलोरी और 5 वर्ष के अन्त में 1700 कैलोरी की आवश्यकता होती है। इससे स्पष्ट है कि इस अवधि में बालकों के भोजन में कैलोरी वृद्धि की बहुत अधिक आवश्यकता नहीं होती।
2. मांसपेशियों और अन्य ऊतकों की वृद्धि और विकास के लिए प्रोटीन की आवश्यकता पूर्व से ही बनी रहती है। अमेरिका की राष्ट्रीय अनुसन्धान परिषद् के अनुसार 2-3 वर्ष के आयु के बालकों को 40 ग्राम और 4-5 वर्ष के बालकों को 50 ग्राम प्रोटीन प्रतिदिन आहार में मिलना चाहिए।
3. दाँतों व हड्डियों को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए 10 ग्राम कैल्शियम की दैनिक आवश्यकता होती है।
4. प्रतिदिन आहार में 7.8 मिग्रा. लौह मात्रा की आवश्यकता होती है।
5. बाल्यावस्था में स्वास्थ्य संरक्षण के लिए विटामिनों की आवश्यकता बराबर बनी रहती है।
1-3 वर्ष के बालकों का आहार और समय चक्र
इस अवस्था में बालकों में शरीर की वृद्धि तो धीमी रहती है, किन्तु वह सदैव क्रियाशील रहता है और उसे भोजन में अधिक रुचि नहीं होती है। वह खेल में अधिक व्यस्तता के कारण भी भूख की ओर ध्यान नहीं देता है। इस आयु के बालक कुपोषण / अपोषण के शिकार पाये जाते है। सन्तुलित भोजन का अभाव एक से पाँच वर्ष के बालकों को अत्यधिक प्रभावित करता है। इसलिए इस आयु के बालकों के आहार में प्रोटीन, विटामिन और खनिज लवणों का विशेष रूप से समावेश करके पौष्टिक बनाना चाहिए। 1-3 वर्ष के बालकों का आहार व समय चक्र निम्न प्रकार है -
समय चक्र | आहार |
प्रातः 6 बजे (जागने पर ) | एक कप दूध |
प्रातः 8 बजे | (i) सूजी / दलियां/ कार्नफ्लेक्स दूध के साथ |
(ii) डबल रोटी का एक स्लाइस, मक्खन, पनीर, शहद या जैम के साथ | |
(iii) सन्तरा या टमाटर का रस | |
10-11 बजे के मध्य | (i) सब्जी हरी पत्तेदार या पीली |
(ii) चपाती या दलिया दाल-चावल खिचड़ी | |
(iii) दही | |
(iv) कच्ची सब्जी के सलाद | |
3-4 बजे अपरान्ह | (i) बिस्कुट, मठरी या सैंडविच |
(ii) फल केला, अमरूद इत्यादि | |
(iii) एक कप दूध | |
6-7 बजे शाम | (i) सब्जी या माँस का शोरबा |
(ii) दूध से बनी खीर | |
(iii) डबल रोटी की स्लाइस या चपाती और आलू के साथ सब्जी तथा रोटी |
यदि बालक को उपर्युक्त भोजन प्राप्त होता है तो यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि उसे सन्तुलित भोजन मिल रहा है इस सूची में पदार्थों के नाप व मात्रायें नहीं दी गयी है। इस आयु के बालक की भूख ही खाने की मात्रा निश्चित करती है। वह उतना ही खाता है जितनी उसे भूख है। यह सूची केवल सुझाव मात्र है जहाँ तक सम्भव हो सके इसका पालन किया जाना चाहिए।
चार-पाँच वर्ष की आयु के बालकों का आहार
चार से पाँच वर्ष की आयु के बालकों का पाचन तन्त्र तीन वर्ष के बालकों की अपेक्षा अधिक परिपक्व होता है। इनके दूध के दाँत भी पूरे निकल चुके होते हैं। अतः अब उन्हें भोजन को कुचल कर देने की आवश्यकता नहीं रहती। वे कच्ची सब्जी का सलाद खाकर उसे भली-भाँति पचा सकते हैं।
इस आयु समूह का बालक अत्यन्त क्रियाशील रहता है। बालकों को अधिक मसालेदार भोजन पसन्द नहीं आता। पकी सब्जियाँ भी वे नहीं खाना चाहते हैं। केला अधिक पसन्द करते हैं। कच्ची सब्जी, जैसे- गाजर, टमाटर, खीरा, ककड़ी, प्रसन्नतापूर्वक खाते हैं। दूध पीने से जी चुराते हैं। दूध को दही, खीर, मट्ठा, आइसक्रीम आदि के रूप में दिया जा सकता है। उन्हें तलें, भुने, पकवान न दिये जायें। इस आयु वर्ग का बालक अत्यन्त क्रियाशील रहता है अतः उन्हें प्रोटीन, विटामिन एवं खनिज लवणों के साथ कार्बोहाइड्रेट की भी पर्याप्त मात्रा में आवश्यकता होती है।
सबसे अच्छा तो यह है कि सभी आयु वर्गों के भोजन को बालकों की रुचि के अनुसार प्रत्येक आहार में सम्मिलित किया जाये।
अनाजों में जौ, चना, आदि भी मिलाये जायें तो आहार अधिक पौष्टिक हो जाता है। फलों के अन्तर्गत सेब, सन्तरा, केला, अमरूद, टमाटर, पपीता आदि का प्रयोग आवश्यक है।
कीमत के आधार पर बालकों का पौष्टिक आहार
(Nutritious Food of Children on the basis of Price)
बच्चों का पोषण परिवार की आर्थिक स्थिति पर भी निर्भर करता है। हमारे देश में अनेक बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं क्योंकि गरीबी के कारण अनेक बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता। इसलिए यह भी आवश्यक है कि कीमत के आधार पर भोजन की व्यवस्था की जाये।
गरीब परिवारों के बच्चों के आहार में दूध, अण्डा, माँस, मछली आदि प्रोटीन युक्त आहार की कमी होती है लेकिन अनाज व दालों का प्रयोग प्रायः होता है। निम्न आर्थिक स्थिति वाले परिवार को भी बच्चों के लिए सस्ते व पोषक आहार अधिक प्रदान करने चाहिए तथा उच्च आर्थिक स्थिति के परिवारों के बच्चों को महँगे भोज्य पदार्थ उनकी रुचि के अनुसार अधिक मात्रा में दिये जाने चाहिए।
निम्न आर्थिक स्थिति वाले परिवारों के बच्चों को दूध, अण्डा, माँस, मछली से प्राप्त होने वाली प्रोटीन की कमी को अनाज, दाल, खिचड़ी, दलिया आदि से कुछ हद तक पूरा किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त सस्ती मौसमी सब्जियाँ, जैसे गाजर, मूली, टमाटर, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, चुकन्दर, खीरा तथा सस्ते मौसमी फलों और अमरूद, नाशपाती, केला आदि दिये जा सकते हैं। वास्तव में गरीब परिवारों के बच्चे कुपोषण का शिकार इसलिए भी होते हैं कि उनके माता-पिता को विभिन्न सस्ते आहारों के पौष्टिक गुणों का ज्ञान नहीं होता है।
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- प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- "आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- प्रश्न- सन्तुलित आहार क्या है? सन्तुलित आहार आयोजित करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
- प्रश्न- आहार द्वारा कुपोषण की दशा में प्रबन्ध कैसे करेंगी?
- प्रश्न- वृद्धावस्था में आहार को अति संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- आहार में मेवों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझती हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- वर्जित आहार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- शिशु के लिए स्तनपान का क्या महत्व है?
- प्रश्न- शिशु के सम्पूरक आहार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- किन परिस्थितियों में माँ को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए?
- प्रश्न- फार्मूला फीडिंग आयोजन पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 6 से 12 वर्ष के बालकों की शारीरिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
- प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
- प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये।
- प्रश्न- एक सुपोषित बच्चे के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- वयस्क व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था की प्रमुख पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ कौन-कौन-सी हैं?
- प्रश्न- एक वृद्ध के लिए आहार योजना बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
- प्रश्न- वृद्धों के लिए कौन से आहार सम्बन्धी परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है? वृद्धावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका बनाइए।
- प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
- प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
- प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिए एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगी?
- प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था क्या है? इसकी विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था का क्या अर्थ है? मध्यावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक विकास का क्या तात्पर्य है? शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले करकों को समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास का क्या अर्थ है? क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए एवं मध्य बाल्यावस्था में होने वाले क्रियात्मक विकास को समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक कौशलों के विकास का वर्णन करते हुए शारीरिक कौशलों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास से क्या तात्पर्य है? इनकी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या तात्पर्य है? उत्तर बाल्यावस्था की सामाजिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ लिखिए एवं बालकों के संवेगों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- बालकों के संवेग कितने प्रकार के होते हैं? बालक तथा प्रौढों के संवेगों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बच्चों के भय के क्या कारण हैं? भय के निवारण एवं नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
- प्रश्न- संज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए। संज्ञान के तत्व एवं संज्ञान की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से क्या तात्पर्य है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझते हैं? वाणी एवं भाषा का क्या सम्बन्ध है? मानव जीवन के लिए भाषा का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा-विकास से आप क्या समझती? भाषा-विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक लिखिए।
- प्रश्न- बच्चों में पाये जाने वाले भाषा सम्बन्धी दोष तथा उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? भाषा के मापदण्ड की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? बालक के भाषा विकास के प्रमुख स्तरों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भाषा के दोष के प्रकारों, कारणों एवं दूर करने के उपाय लिखिए।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था में भाषा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक बुद्धि का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'सामाजीकरण की प्राथमिक प्रक्रियाएँ' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बच्चों में भय पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- बाह्य शारीरिक परिवर्तन, संवेगात्मक अवस्थाओं को समझाइए।
- प्रश्न- संवेगात्मक अवस्था में होने वाले परिवर्तन क्या हैं?
- प्रश्न- संवेगों को नियन्त्रित करने की विधियाँ बताइए।
- प्रश्न- क्रोध एवं ईर्ष्या में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- बालकों में धनात्मक तथा ऋणात्मक संवेग पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के अधिगम विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के मनोभाषिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बालक के हकलाने के कारणों को बताएँ।
- प्रश्न- भाषा विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा दोष पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- वयः सन्धि का क्या अर्थ है? वयः सन्धि अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।
- प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एच. आई. वी. वायरस क्या है? इससे होने वाला रोग, कारण, लक्षण एवं बचाव बताइये।
- प्रश्न- ड्रग और एल्कोहल एब्यूज डिसआर्डर क्या है? विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- किशोर गर्भावस्था क्या है? किशोर गर्भावस्था के कारण, लक्षण, किशोर गर्भावस्था से बचने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- युवाओं में नशीले पदार्थ के सेवन की समस्या क्यों बढ़ रही है? इस आदत को कैसे रोका जा सकता है?
- प्रश्न- किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास, भाषा विकास एवं नैतिक विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता का क्या अर्थ है? सृजनात्मकता की परिभाषा लिखिए। किशोरावस्था में सृजनात्मक विकास कैसे होता है? समझाइये।
- प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- किशोरावस्था क्या है? किशोरावस्था में विकास के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
- प्रश्न- प्रारम्भिक वयस्कावस्था में 'आत्म प्रेम' (Auto Emoticism ) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
- प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन से हैं?
- प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- आत्म की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- शारीरिक छवि की परिभाषा लिखिए।
- प्रश्न- प्राथमिक सेक्स की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था के बौद्धिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता और बुद्धि में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कावस्था के मानसिक लक्षणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं?
- प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कतावस्था में सामाजिक विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
- प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है? संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में संज्ञानात्मक सामर्थ्य एवं बौद्धिक पक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- युवा प्रौढ़ावस्था शब्द को परिभाषित कीजिए। माता-पिता के रूप में युवा प्रौढ़ों के उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए?
- प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- उत्तर-वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।